Wednesday, October 1, 2008
Whatever will be, will be...
जो बीत गयी, सो बात गयी।
जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उस पर नित्य- निछावर तुम।
मधुवन की छाती को देखो।
सूखी इसकी कितनी कलिया,
मुरझाई कितनी वल्लारिया।
जो सूख गए, फिर कहा खिले?
पर बोलो सूखे डालो पर कब मधुवन शोक मनाता है?
जो बीत गयी, सो बात गयी।
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